Swati Sharma

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लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 6)

         पहले मुझे होली खेलने से बहुत डर लगता था। मुझे आज भी याद है, मेरी सबसे छोटी बुआ के साथ मैं होली वाले दिन हमारे घर के पीछे वाले बाड़े में छुप जाया करते थे। रंग लगाने वाले आते और इधर उधर ढूंढ कर वापस चले जाते। सबके चले जाने के बाद बुआ के साथ मैं पानी से होली खेलते थे। मैं उन पर पानी नहीं डाल पाती थी, क्योंकि मैं छोटी थी। वो मुझ पर पानी  सरलता से डाल देती थीं।

          मेरी सबसे छोटी बुआ मेरी बड़ी बहन के जैसी हैं। जहां भी जाती थीं, मुझे अपने साथ ले जाती। चाहे फिर वो बाज़ार हो या उनकी किसी सहेली का घर। हमेशा मुझे अपने साथ रखती थी। मेरी बुआ ने मैंने मेरे बचपन में खूब धमाल किया हुआ है।
         जब वे एक विद्यालय में पढ़ाने जाती थीं। वहां जब उनको तनख्वाह मिलती तो मुझे कभी कोई गुड़िया दिला लाती, तो कभी मेरी हेयर कटिंग करवा लाती। एक बार पार्लर से उन्होंने मेरे कहने पर मेरे बॉब कट बाल कटवा दिए। जब हम घर पर पहुंचे, जो मम्मा से डांट पीटी बस पूछो ही मत। फिर एक बार जब मेरे विद्यालय की छुट्टी थी। तब बुआ मुझे उनके विद्यालय ले गईं। वहां एक कक्षा में मुझे बिठा दिया और कहा इन बच्चों को ए, बी, सी, डी सीखा दे।
         एक बार उनके विद्यालय के शिक्षक सब किसी टूर पर किला देखने गए, वहां भी बुआ मुझे ले गईं। हमने मिलकर खूब धमाल किया। वैसे मैं बचपन में काफ़ी शर्मीली थी। परंतु, जब बुआ मुझे सबके सामने यह कहती कि यह बहुत शर्मीली है, तो मुझे बहुत बुरा लगता। मैं बाद मैं बुआ को यह कहती कि मुझे शर्मीली मत कहा करो, मुझे यह शब्द अच्छा नहीं लगता। इस बात पर बुआ खिलखिला कर हंस पड़ती। जब भी कहीं बाहर घूमने जाती, तो मेरे लिए कुछ न कुछ अवश्य लाती। वे मुझे तरह तरह की कविताएं सिखाती, जो मुझे आज भी याद हैं।
                 आज भी जब मैं बुआ से मिलती हूं, वो बताती हैं। जब मैं पहली बार विद्यालय में पढ़ने गई थी, तो बुआ ने मुझे सब पहले ही याद करवा दिया था। जब मेरे विद्यालय में नृत्य प्रतियोगिता होती तब बुआ ही मुझे तैयार करती और मेरा मेक अप करती और मेरे विद्यालय में मेरा प्रदर्शन देखने आती थीं। बुआ चित्रकारी सीखने जाती, तब वहां भी मुझे कभी कभी ले जाती थीं। वहां मुझे उनके सर चित्रकारी करना सिखाते थे। मैं जब कोई चित्र बनाती तो बुआ मुझे हमेशा पूनर्बलन देती। आज भी मेरे हर कार्य में मुझे प्रोत्साहित सबसे पहले मेरी सभी बुआएं करती हैं। मम्मा पापा का नंबर तो बाद में आता है। मैं ईश्वर की सदैव आभारी हूं, जो मुझे इतनी प्यारी और सहयोग देने वाला परिवार मिला। जिसमें हर एक व्यक्ति के साथ मेरी बहुत ख़ास और खट्टी मीठी यादें जुड़ी हुई हैं। जो हर पल मन को गुदगुदाती रहती हैं।

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4 Comments

Swati Sharma

05-Jan-2023 11:32 PM

Thanks

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Gunjan Kamal

06-Dec-2022 02:33 PM

🙏🏻👏👌

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Swati Sharma

06-Dec-2022 03:59 PM

🙏🏻😇🙏🏻

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